पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है Anant chaturdashi। यह दिन गणेश उत्सव के समापन का प्रतीक है और भगवान विष्णु के अनंत रूप, की पूजा के लिए भी समर्पित है। AstroVed के अनुसार इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
भगवान विष्णु के भक्तों के लिए यह पूजा और उपवास का दिन है, और गणेश भक्तों के लिए, यह भव्य गणेश विसर्जन का दिन है, जब भगवान गणेश की सुंदर सजी हुई मूर्तियों को गणपति बप्पा मोरया के जयकारों के साथ जल में विसर्जित किया जाता है।
Anant chaturdashi भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
Drik Panchang के अनुसार 2025 में, अनंत चतुर्दशी शनिवार, 6 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी।
अनंत चतुर्दशी का महत्व

“अनंत” शब्द का अर्थ शाश्वत या अनंत है, जबकि “चतुर्दशी” चंद्र पखवाड़े के 14वें दिन को संदर्भित करता है। भगवान विष्णु को उनके विशाल और अंतहीन स्वरूप के कारण अनंत भी कहा जाता है। इस दिन, भक्त ब्रह्मांड के पालनहार भगवान विष्णु के इस अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं और अनंत सूत्र बांधा जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन जो लोग अनंत व्रत रखते हैं, वे पापों और दुर्भाग्य से मुक्त हो जाते हैं।
यह त्यौहार गणेश उत्सव से गहराई से जुड़ा हुआ है। दस दिवसीय गणेश उत्सव के समापन के प्रतीक है anant chaturdashi (अनंत चतुर्दशी)।
अनंत चतुर्दशी की रस्में ( Rituals)

1. अनंत व्रत (उपवास):
उस दिन भक्त दिन भर उपवास में रहते हैं और विष्णु मंत्रों का जाप करते हुए अपनी बांह पर हल्दी और कुमकुम से रंगा हुआ 14 गांठों वाला पवित्र अनंत सूत्र धागा बांधते हैं। अनंत सूत्र भगवान विष्णु के साथ शाश्वत बंधन का प्रतीक है।
2. भगवान विष्णु की पूजा:
भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर फूल, फल और मिठाइयों के साथ षोडशोपचार विधि से पूजा किया जाता हैं।
3. गणेश विसर्जन:
इस दिन, भगवान गणेश की मूर्तियों का नदी या सरोवरों में विसर्जन के साथ 10 दिनों तक चलने वाला गणेश चतुर्थी उत्सव समाप्त होता है। विसर्जन के दौरान भक्त “गणपति बप्पा मोरया, पुधच्या वर्षी लवकर या” (हे भगवान गणेश, अगले वर्ष शीघ्र ही पुनः आना) का जाप करते हैं।
4. दान और सेवा:
कई भक्त इस दिन ब्राह्मण या जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देते हैं।
“अनुष्ठान के दौरान मंत्र जाप का भी विशेष महत्व है। यदि आप जानना चाहते हैं कि गायत्री मंत्र दैनिक जीवन में कैसे लाभ देता है, तो हमारा Gayatri Mantra Benefits Blog पढ़ सकते हैं।”
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
अनंत चतुर्दशी की कथा महाभारत से जुड़ी है। प्राचीन कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को पुनः समृद्धि प्राप्त करने के लिए अनंत व्रत रखने की सलाह दी थी। जिससे पवित्र अनंत सूत्र बाँधने और पूर्ण श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा करने से उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिली और कौरवों पर विजय प्राप्त हुई। तब से, किसी भी तरह की कष्टों से मुक्ति और अनंत सुखों की प्राप्ति हेतु लोग इस व्रत का पालन करतें आ रहे हैं।
अनंत चतुर्दशी 2025 तिथि और पूजा का समय:
अनंत चतुर्दशी तिथि का आरंभ 6 सितंबर को सुबह 3 बजकर 14 मिनट पर आरंभ होगी और 7 सितंबर को मध्यरात्रि 1 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी।
(समय आपके जगह और पंचांग के अनुसार भिन्न भी हो सकता है)
Anant chaturdashi (अनंत चतुर्दशी) लोग कैसे मनाते हैं:

महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में, संगीत, ढोल और नृत्य के साथ विशाल गणेश विसर्जन जुलूस निकाले जाते हैं।
उत्तर भारत में, लोग मुख्य रूप से अनंत व्रत रखते हैं, पवित्र धागा बाँधते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
नदियों, झीलों और समुद्र तटों पर लाखों भक्त गणेश विसर्जन समारोह करते हुए दिखाई देते हैं।
खासकर महाराष्ट्र में, Anant chaturdashi (अनंत चतुर्दशी) का विशेष महत्व है। इस दिन गणेश विसर्जन महाराष्ट्र का सबसे प्रमुख आकर्षण होता है।
जहाँ लाखों भक्त विशाल जुलूस, नृत्य, संगीत और हार्दिक प्रार्थनाओं के साथ भगवान गणेश को विदाई देते हैं।
निष्कर्ष के तौर पर:
अनंत चतुर्दशी 2025 केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है , बल्कि आस्था, भक्ति और एकता का प्रतीक भी हैं।
यह पावन दिन सभी के लिए सुख समृद्धि, और खुशियाँ लेकर आए।
✨ आपको अनंत चतुर्दशी 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ! ✨

त्योहार हमें सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत की प्रेरणा देते हैं। यदि आप भी जीवन में नई दिशा पाना चाहते हैं, तो हमारा लेख रविवार का संकल्प – नई शुरुआत की शक्ति आपके लिए सहायक होगा।
